Friday 17 March 2017

ग्रैच्युटी की सीमा 10 से 20 लाख करने के फैसले पर मंजूरी


ग्रैच्युटी की सीमा 10 से 20 लाख करने के फैसले पर मंजूरी

ग्रैच्युटी की सीमा 10 से 20 लाख करने के फैसले पर आज मंजूरी मिल सकती है। केंद्रीय कैबिनेट की आज होने वाली बैठक में सरकार इस बात का फैसला कर सकती है। यह विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली जीत के बाद पहली बैठक है।

इससे पहले केंद्रीय भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने 1 मार्च को इस प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी दी थी।

लोगों को मिलेगा डबल फायदा

ईपीएफओ ने सरकार को दो प्रस्ताव दिए थे, जिनमें से सरकार ने एक प्रस्ताव पर अपनी सहमति जता दी थी। अब पांच साल किसी संस्थान में नौकरी करने के बाद ग्रैच्युटी 10 लाख रुपये बढ़कर मिलेगी।

इसके लिए सरकार ने केंद्रीय भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है। इससे लोगों को डबल फायदा मिलेगा। पहला तो यह कि किसी भी जगह पर नौकरी करने वाले व्यक्ति को ज्यादा ग्रैच्युटी मिलेगी। इसके साथ ही इस पर किसी प्रकार का कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा।

कैबिनेट अध्यादेश के जरिए करेगी संशोधन

INTUC के प्रेसीडेंट और ईपीएफओ सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सदस्य डॉ. जी संजीव रेड्डी ने कहा कि अब लोगों को पांच साल लगातार एक संस्थान में नौकरी करने पर 20 लाख रुपये ग्रैच्युटी मिला करेगी। पहले यह सीमा 10 लाख रुपये थी।

ग्रैच्युटी का पैसा कंपनी कर्मचारी की सीटीसी(कॉस्ट टू कंपनी ) से काटती है। यह पैसा कर्मचारी को तब मिलता है, जब वो पांच साल नौकरी करता है। अगर पांच साल से पहले कोई नौकरी छोड़ देता है, तो उसको इसका लाभ नहीं मिलता है।

इसके साथ ही ईपीएफओ ने सरकार को ग्रैच्युटी ट्रांसफर करने के प्रस्ताव को हरी झंडी नहीं दी है। सरकार का कहना है कि वो इस संबंध में राय लेकर फैसला करेगी, क्योंकि इसके लिए ग्रैच्युटी एक्ट में बदलाव करना पड़ेगा।

सरकार केवल अध्यादेश के जरिए करेगी बिल में संशोधन

सरकार केवल अध्यादेश के जरिए बिल में संशोधन करके इसको लागू कर देगी। इसके लिए सरकार को केवल एक नोटिफिकेशन जारी करके बिल में बदलाव करना होगा। ऐसे में इस बिल को संसद में ले जाकर पास कराने की किसी तरह की कोई जरुरत भी नहीं पड़ेगी।

केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए टैक्सी फ्री ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ाने का फैसला 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया है। इसका नोटिफिकेशन 25 जुलाई 2016 को जारी हुआ था।

यूनियंस प्राइवेट सेक्टर में भी इसे जनवरी 2016 से लागू करना चाहते हैं। लेकिन अमेंडमेंड प्रपोजल में सिर्फ 10 लाख की सीमा को 20 लाख करने का जिक्र है।

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