Thursday, 22 March 2018

21 मार्च 2018 कटनी।

 एक समय था जब लोग रिश्तेदारों, परिचितों का हाल-चाल जानने तथा पर्व आदि पर बधाई संदेश देने के लिए पोस्ट कार्ड, अंतरदेशीय पत्रों का उपयोग किया करते थे। आधुनिकता के इस दौर में इनका स्थान निजी कोरियर सेवाओं, मोबाइल, इंटरनेट, फैक्स आदि ने ले लिया है। इसके बाद भी पोस्ट बॉक्स की अहमियत बरकरार है। 150 से अधिक साल पुराने इतिहास को संजोए शहर के मुख्य डाकघर का लेटर बॉक्स आज भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस बॉक्स को ब्रिटिश की रानी  के नाम से जाना जाता है। जबलपुर मुख्य पोस्ट ऑफिस परिसर में लगे लेटर बॉक्स को राजा पोस्ट बॉक्स  के नाम से जाना जाता है। दोनों लेटर बॉक्स डाकघर के प्रारंभिक दौर के हैं।

205 किलोग्राम है वजन

शहर के बुजुर्गों के अनुसार यह लेटर बॉक्स 1860 ईसवी में इंग्लैंड से बनकर आया था। 205 किलोग्राम वजनी इस लेटर बॉक्स का ऊपरी सिरा ब्रिटिश की रानी महारानी विक्टोरिया के राजमुकुट के समान है। लेटर बॉक्स में ब्रिटिश ध्वज भी अंकित है। मुकुट में बड़े-बड़े सितारे भी लगे हुए हैं।

नहीं लगता जंग

शहर स्थित मुख्य डाकघर के पोस्ट मास्टर एसके चौबे ने बताया कि लेटर बॉक्स का निर्माण कास्ट से हुआ है। इनकी विशेषता यह है कि इनमें जंग नहीं लगता। इसलिए ये आज भी एकदम नए प्रतीत होते हैं।  हालांकि आधुनिक युग में अब इस गुणवत्ता के लेटर बॉक्स कहीं भी नजर नहीं आते। उन्होंने बताया कि कम लागत के अधिकांश बॉक्स शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए गए हैं। ब्रिटिशकाल के राजा-रानी की मुकुट के आकार के लेटर बॉक्स विभाग द्वारा खास स्थानों पर लगाए गए हैं।

धरोहर के रूप में सुरक्षित

कटनी शहर में सन 1854 में डाकघर की स्थापना के कुछ ही समय बाद इस लेटर बॉक्स की स्थापना मुख्य डाकघर परिसर में की गई थी। डॉकघर परिसर में लगा यह लेटर बॉक्स ब्रिटिश की रानी के मुकुट के आकार का है। पोस्ट बॉक्स की शृंखला में यह दूसरी पत्र पेटी है जो एक इतिहास को संजोए हुए है।

इनका कहना है

करीब 150 साल पुराना यह बॉक्स आज भी जस का तस है। बॉक्स को ब्रिटिश की रानी के नाम से जाना जाता है, जबकि दूसरा बॉक्स जबलपुर में स्थापित है, जिसे राजा के नाम से जाना जाता है। आयरन कास्ट से बने इस बॉक्स में जंग नहीं लगता। यह दिखने में भी आकर्षक है।

- एसके चौबे,  पोस्ट मास्टर, मुख्य डाकघर कटनी

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